ताजदार-ए-हरम - Tajdar-e-Haram Lyrics in Hindi (Atif Aslam, Coke Studio S08 E1)

 ताजदार-ए-हरम - Tajdar-e-Haram  Lyrics in Hindi (Atif Aslam, Coke Studio S08 E1)

ताजदार-ए-हरम (Tajdar-e-Haram) is a popular Qawwali originally performed by the renowned Qawwali group Sabri Brothers in the 1970s. The song has been widely popular and has been covered by many artists over the years. In 2015, Atif Aslam performed a rendition of the song in Coke Studio Season 8, which quickly became one of the most popular performances in the show's history.


Atif Aslam's rendition of Tajdar-e-Haram has been widely appreciated for its soulful music and the emotional intensity of the performance. The song has been viewed millions of times on YouTube, making it one of the most popular Coke Studio performances of all time. It is a fitting tribute to the original Qawwali and the message of love, devotion, and spirituality that it conveys.


ताजदार-ए-हरम - Tajdar-e-Haram (Atif Aslam) Song Details:

Movie/Album: कोक स्टूडियो सीज़न 8 एपिसोड 1 (2015)
Music By: सबरी ब्रदर्ज़
Lyrics By: हकीम मिर्ज़ा मदनी
Performed By: आतिफ़ असलम 

ताजदार-ए-हरम - Tajdar-e-Haram  Lyrics in Hindi

क़िस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे
डूबे ना कभी मेरा सफ़ीना लिख दे
जन्नत भी गँवारा है मगर मेरे लिए
ऐ कातिब-ए-तक़दीर मदीना लिख दे

ताजदार-ए-हरम
ताजदार-ए-हरम हो निगाह-ए-करम
हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे
हामी-ए बे-कसां क्या कहेगा जहां
आपके दर से खाली अगर जाएँगे
ताजदार-ए-हरम

कोई अपना नहीं गम के मारे हैं हम
आपके दर पे फ़रियाद लाएँ हैं हम
हो निगाह-ए-करम वरना चौखट पे हम
आपका नाम ले ले के मर जाएँगे

क्या तुमसे कहूँ ऐ रब के कुँवर
तुम जानते हो मन की बतियाँ
दार फुरक़त ई तो आये उम्मी लक़ब
काटे ना कटे हैं अब रतियाँ
तोरी प्रीत में सुध बुध सब बिसरी
कब तक रहेगी ये बेखबरी
गाहे बेफ़िगन दुज़दीदाह नज़र
कभी सुन भी तो लो हमारी बतियाँ
आपके दर से कोई ना खाली गया
अपने दामन को भर के सवाली गया
हो हबीब-ए-हज़ीन
हो हबीब-ए-हज़ीन पर भी आक़ा नज़र
वरना औराक़ ए हस्ती बिखर जाएँगे
ताजदार-ए-हरम...

मैकशों आओ आओ मदीने चलें
इसी महीने चलें, आओ मदीने चलें
तजल्लियों की अजब है फ़िज़ा मदीने में
निगाहें शौक़ की हैं इंतेहां मदीने में
ग़म-ए-हयात ना खौफ-ए-क़ज़ा मदीने में
नमाज़-ए-इश्क़ करेंगे अदा मदीने में
बराह-ए-रास है राह-ए-खुदा मदीने में
आओ मदीने चलें, इसी महीने चलें
मैकशों आओ आओ मदीने चलें
दस्त-ए-साक़ी ये कौसर से पीने चलें
याद रखो अगर, उठ गई इक नज़र
जितने खाली हैं सब जाम भर जाएँगे
वो नज़र
ताजदार-ए-हरम...

खौफ़-ए-तूफ़ान है बिजलियों का है डर
सख़्त मुश्किल है आक़ा किधर जाएँ हम
आप ही गर न लेंगे हमारी खबर
हम मुसीबत के मारे किधर जाएँगे
ताजदार-ए-हरम
या मुस्तफ़ा या मुजतबा इरहम लना इरहम लना
दस्त-ए हमह बेचारा-रा दमाँ तो-ई दमाँ तो-ई
मन आसियां मन आजिज़म मन बे-कसम हाल-ए-मेरा
पुरसं तो-ई पुरसं तो-ई
ऐ मुश्क-बेद ज़ुम्बर फ़िशां
पैक-ए-नसीम ए सुबह दम
ऐ चारहगर ईसा नफ़स
ऐ मूनस ए बीमार-ए-ग़म
ऐ क़ासिद ए फुरकंदपह
तुझको उसी गुल की कसम
इन नलती या री अस-सबा
यौमन इला अर्द इल-हरम
बल्लिघ सलामी रौदतन
फी अन-नबी अल मोहतरम
ताजदार-ए-हरम

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